Friday, April 24, 2020

आशा की किरण

आशा की किरण आंखो मैं चम चमा रही है
और जिंदगी एक नाजुक मोड़ पर खड़ी है

अब चलते चलते कदम कहां रुक गए मेरे
अब ना जाने आशा के कदम थक गए मेरे


सफर तो सरू मैंने बहुत समय पहले किया
मंजिल की तलाश मैंने ना जाने क्या-2 किया

चाह है मंजिल की मुझे सब भूले बैठा हूं
झील मिल झील मिल आशा की किरण कर रहीं हैं

उठ उठ कर देख में  वोछार कर रहीं हूं
तू सो रहा है देख मैं तेरे घर से जा रहीं हूं

में आशा हूं सभी की किसी को मैं दिखती नहीं
जिसने किरणे देखी मेरी वो फिर कभी सोआ नहीं

चाहत तो है तुझे मेरी पर तेरी मुस्किल नाकाम रह गई
उठ उठ कर खड़ा हो आशा हूं तेरी मै आजे तेरी रह गई



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